साच तो आ है  
कै थारा सबद कविता नीं
भावां रो भतूळियो मांडै 
थारै मांयली घिरणा रो ज्हैर 
थारी भासा री पिछाण है 
कविता बो ईज लिख सकै 
जिणरी निजरां मांय 
दूजां री पीड़
आपरी पीड़ ज्यूं लागै 
पण थारै मांय 
बै बीज ई नीं है 
जिका कविता नैं जलम देवै 
जिको चोखो मिनख नीं होय सकै 
बो चोखो कवि कियां हुवैला!