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पण हुई आ / सांवर दइया
Kavita Kosh से
आगै सारू अंधारै में नीं आखड़णो पड़ै
इण खातर घर सूं नीसरियो
सोधण नै उजास
पण हुई आ
कै जद रस्तै में चखायो लोगां
ताजी रोटी रो गरमास
अर भरवां डील रो चिकणास
तो भूलग्यो कै नीसरियो हूं
सोधण नै उजास
बठै बां री फाक्यां में आय’र बणाय लियो
अंधारै नै ई भायलो खास !