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पतझड़ / ज़ाक प्रेवेर / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
घोड़ा अचानक
बीच सड़क में गिर जाता है
झर रहे
सूखे पत्तों से
ढक जाता है
और छाती में दिल
जो पड़ा हुआ है
रह गया धक से
सूरज
सिर के ऊपर काँपे
मण्डराता है ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय