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पतन / रचना दीक्षित
Kavita Kosh से
सुना है गिरना बुरा है
देखती हूँ आसपास
कहीं न कहीं,
कुछ न कुछ
गिरता है हर रोज़
कभी साख गिरना
कभी इंसान का गिरना
इंसानियत का गिरना
मूल्यों का गिरना
स्तर गिरना
कभी गिरी हुई मानसिकता
गिरी हुई प्रवृत्तियां
अपराध का स्तर गिरना
नज़रों से गिरना
और कभी
रुपये का गिरना
सोने का गिरना
बाज़ार का गिरना
सेंसेक्स गिरना
और यहाँ तक
कि कभी तो
सरकार का गिरना
समझ नहीं पाती
ये इनकी चरित्रहीनता है
या
गुरुत्वाकर्षण