पतला रिबीना / इवान सूरिकफ़ / अनिल जनविजय
क्यों शोर कर रहे, झूम रहे हो
ओ पतले रिबीना !
झुक-झुक जाते हो बाड़ तक
सरदी का महीना
और राह के उस पार
वहाँ नदी पर नीचे
ऊँचा बाँज खड़ा अकेला
उस जंगल के पीछे
कैसे मैं पतला रिबीना
बांज के पेड़ तक जाऊँ
मेरा झुकना बन्द हो जाता
मैं फिर झूम न पाऊँ
अपनी पतली टहनियों से
उससे मैं लिपट जाता
और उसकी पत्तियों से
रात-दिन गपियाता
लेकिन मैं रिबीना हूँ
बांज तक न जा पाऊँगा
मैं खड़ा अनाथ अकेला
बस, यहीं झूमूंगा, गाऊँगा।
शब्दार्थ :
रिबीना = रूस में पाया जाने वाला एक पेड़, जिसमें लाल रंग के फल लगते हैं और बर्फ़ गिरने के बाद पेड़ पर इन फलों के लाल-लाल गुच्छे चमकते रहते हैं।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही गीत मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Иван Суриков
Тонкая рябина
«Что шумишь, качаясь,
Тонкая рябина,
Головой склоняясь
До самого тына?»
А через дорогу
За рекой широкой
Так же одиноко
Дуб стоит высокий.
«Как бы мне, рябине,
К дубу перебраться?
Я б тогда не стала
Гнуться и качаться.
Тонкими ветвями
Я б к нему прижалась
И с его листами
День и ночь шепталась.»
Но нельзя рябине
К дубу перебраться!
«Знать, мне, сиротине,
Век одной качаться».