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पत्ते ले कै चल्या राव जिब शहर लिया मर पड़कै / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों भठियारी उन्हें अपनीसराय में शरण दे देती है तथा उनको अलग अलग काम बांट देती है। राजा अम्ब को पत्ते लाने का , रानी अम्बली को सराय में खाना पकाने तथा बर्तन चौका करने का और सरवर नीर को अपनी भेड़ बकरियां चराने के काम में लगा देती है। एक रोजा राजा अम्ब जंगल से पत्ते लेकर चलता है तो वह अपने मन में क्या विचार करता है-

गहरी चिन्ता हुई गात मैं धड़ धड़ छाती धड़कै।
पत्ते ले कै चल्या राव जिब शहर लिया मर पड़कै।टेक

आलकस नींद सतावण लागी आवण लगी जम्हाई
आगेसी नै पैड़ धरी एक रोती मिली लुगाई
नजर उठाकै देखण लाग्या एक साहमी खड़ी बिलाई
गादड़ नै भी घुरकी घाली सांप काटग्या राही
रस्ते कै म्हां मिल्या कुंजड़ा जो बाट बांध रह्या कड़कै।

चील झपटे मारण लागी सिर उपर फिर फिर कै
आगै सी नै मिली लुगाई रीती दोघड़ धर कै
इसी कसूती छींक मारदी मुंह की साहमी करकै
होगे सोण कसोण कंवर ईब पैंडा छुटै मर कै
मेरी दहणी ओर तीतर बोल्या बांई आंख कसूती फड़कै।

बणी बणी के सब होज्यां सिर ना दें भीड़ पड़ी मैं
इसा कसूता सौण लिया एक सारस जोट खड़ी नै
हिरणां नै भी बुकल खोली कर लिए सौंण चिड़ी नै
ईब चाल कै पछताया मैं चाल्या इसी घड़ी मैं
मेरे रहगे सरवर नीर रोवंते मैं सहम लिकड़ग्या जड़कै।

जाटां का तै हो जमीदारां के धंधा ठा रह्या सै
किते बैठ कै ओम रटै न क्युं धक्के खा रह्या सै
कोए कहै चोखी गावै कोए कह सुर मैं गा रह्या सै
कोए कहै यो के जाणै वृथा मुंह बा रह्या सै
जाट मेहर सिंह इब बता किस किस तै मरैगा लड़कै।