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पत्थर नहीं हुआ / नंदकिशोर आचार्य

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रास्ता चलते
कौन जान सकता है
कि यह जो इतना ऊँचा
और मज़बूत
दीखता है पहाड़
थोड़ी-सी तेज़ हवा में
खिरने लगता है।

अभी यह
पत्थर नहीं हुआ।

(1989)