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पत्थर है इंसान नहीं / सत्यम भारती
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पत्थर है इंसान नहीं
पीड़ा का गर भान नहीं
सदा देश को स्वच्छ रखें
यह है कूड़ेदान नहीं
श्रम से पाया है इसको
जीत मेरी,अनुदान नहीं
उसको बोझ नहीं समझो
बेटी है सामान नहीं
उनको भी रोटी दे दो
हैं किसान भगवान नहीं
झूठे कायर होते हैं
सच कहना आसान नहीं
ऐसा जीवन क्या 'सत्यम'
जिसमें हो सम्मान नहीं