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पत्र / नरेश अग्रवाल

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वह अंतिम पत्र था हमारे बीच
फिर कोई पत्र नहीं लिखा गया
पिछले सारे पत्रों के ऊपर था यह
अपने नीचे सभी को छुपाये हुए
जब भी इच्छा होती थी मन में
पुराने पत्रों को पढऩे की
सबसे पहले इसे ही पढऩा होता था
फिर पिछला- फिर निचला
इस तरह से हम वापस
अपने प्रेम की शुरूआत में पहुंच जाते थे।
वो पहला पत्र सचमुच खूबसूरत था
जैसे पहले आंसू प्रेम के छलके हुए
दृढ़ता से आपस में जुडऩे की तैयारी।
वर्षों लगे थे हमें करीब आने में
और जिस दिन पूरे करीब आ गए थे
लिखा गया था यह अंतिम पत्र।