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पनघट पे न छेड़ो श्याम छैला / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात
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पनघट पे न छेड़ो श्याम छैला
नैना भरों के भरों घैला। पनघट पे...
भर के गगरिया हमें घर जानें
मोहन न रोको हमारी गैला। पनघट पे...
काम तुम्हारो है माखन चुरावो,
तुम हो जनम के चुटकैला। पनघट पे...
एही पनघट पे हो गई दिवानी,
लागी नजर कौन जाऊँ गैला। पनघट पे...
पिया सखी भई रूप दिवानी
नाजा रे छलिया छलबैला। पनघट पे...