भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
परचे की पीठ पर / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
1934, गृहयुद्ध के आठवें साल
चियांग काई-शेक के हवाई जहाज़ों ने
कम्युनिस्ट इलाकों में परचे बरसाए
माओ त्से-तुंग के सिर पर इनाम का ऐलान था जिनमें ।
समझदारी दिखाते हुए
इनामी भगोड़े माओ ने कागज़ की कमी के चलते
उन परचों की ख़ाली सफ़ेद पीठ पर
अपने पैगाम छापकर
बाँट दिया उन्हें जनता के बीच ।
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य