भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परछाईं-सा / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अँधेरे में
परछाईं नहीं होती है
—नहीं होता
उजाला अँधेरे में

उजाले में परछाईं-सा
अँधेरा होता है
               लेकिन
बढ़ते-बढ़ते जिस में
                   ख़ुद
लय हो रहता है वह ।

13 जुलाई 2009