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परम सत्य जो नित्य हैं आत्यन्तिक सुखरूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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परम सत्य जो नित्य हैं आत्यन्तिक सुखरूप।
चेतन, अमल, अनादि, अज, अव्यय, अचल, अनूप॥
सर्वरूप, सबसे परे, लीलामय, सब-मूल।
रामभद्र वे दासपर रहें सदा अनुकूल॥