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परशुराम स्वर्ग वासतिथि / शब्द प्रकाश / धरनीदास
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सतरहसै संवत लिखैत तेरह अधिकानो। समय मास आषाढ़ पक्ष उजियार बखानो॥
तिथि परिवा वुधवार गंग सर्वज्ञ अन्हाये। परशुराम तन तज्यो वास वैकुंठ सिधाये॥
भाव गओ द्वारिको, राज-रीति सहजै लटी।
ता दिन ते जग जान सब, माँझी की महिमा घटी॥3॥