भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परशुराम स्वर्ग वासतिथि / शब्द प्रकाश / धरनीदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सतरहसै संवत लिखैत तेरह अधिकानो। समय मास आषाढ़ पक्ष उजियार बखानो॥
तिथि परिवा वुधवार गंग सर्वज्ञ अन्हाये। परशुराम तन तज्यो वास वैकुंठ सिधाये॥
भाव गओ द्वारिको, राज-रीति सहजै लटी।
ता दिन ते जग जान सब, माँझी की महिमा घटी॥3॥