भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परिवार नियोजन / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जहाँ फसल के कमाय जमा हो
ऊ महल केतना चमचमा हो
महल में रहै बाला
कहऽ हो कि कुल हमरे है
खलिहान में हलै
तब किसान के,
महल में आबऽ हइ
तब सब
महल के पेट में समाबऽ हइ
ला करो ने लापरबाही,
तब तो आ गेलो ई तबाही
नै तोरा अफसर
नै तोरा सिपाही
तब की करबा
हँसोतो ने ओकरे तरवा
जे तर से बकोटऽ हो
उहे तोरा
ऊपर से पोटऽ हो
कहऽ हो थम,
आदमी जादे
उपजा कम
नै मिलतो भर पेट भोजन
इहे से
धुन के सगरे परिवार नियोजन
करनी जब ढुंढ़बा
तब अपरेशन करा लेलको
बुतरू अर बुढ़