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पर्यावरण चेतना से अब जागे हिंदुस्तान / निशान्त जैन

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जल-जंगल-जमीन की रक्षा, हो अपना अभियान,
पर्यावरण चेतना से अब जागे हिंदुस्तान।

वायु विषैली, जल जहरीला, वातावरण में बेचैनी,
ध्वनि प्रदूषण ने है सारी, सुख-शान्ति अपनी छीनी,
मिट्टी-पानी-हवा यही तो, कुदरत के वरदान।

 प्रकृति माँ देती जितना मांगो, उससे भी ज़्यादा,
संसाधन का अनुचित दोहन, तेरा गलत इरादा,
बढ़ता लालच कर देगा, इस धरती को सुनसान।

गलते पर्वत, धँसती धरती और धधकती ज्वाला,
हुआ क्षरण ओज़ोन परत का, कैसा गड़बड़झाला,
असंतुलित विकास देख है, कुदरत भी हैरान।

फूल-पत्तियाँ, पशु-पक्षी और हरे-भरे ये पेड़,
सच्चे मित्र यही अपने हैं, इनको मत तू छेड़,
सदियों से है जुड़ी हुई, इनसे तेरी पहचान।

नदी-सरोवर-कुएँ-बावड़ी-नहरें-सागर-झीलें,
बाग-बगीचों के संग आओ, मिलकर जीवन जी लें,
लहलहाएँ -मुस्काएँ फिर, मैदान-खेत-खलिहान।