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पल्या धार बटिन हवा औणी / बलबीर राणा 'अडिग'

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पल्या धार बटिन हवा औणी त छैं छयी
माया की खुशबू अपणा दगड़ ल्योणी त छैं छयी।

बंद रख्यां छां जब ड्वार मोर तेरा
ते हवा न हैंका तरफ जाण त छैं छयी।

सिं चाँद सी मुखड़ी नि देख सकी तू
मुंड कु पल्ला वेन सरकाई त छैं छयी।

खुटा तेरा ते बाटा नि लग्या वें कु क्या कसूर
छै: फुट्या सड़क तेsका गों जाणि त छैं छयी।

धै नि लगायी सुणदरा भौत छां कंदूड् लगे बैठ्यां
आंख्यों आंख्यों मा वेन विंगायी त छैं छयी।

तू मुंड पकड़ी रुणु छै पीठ फरके वे बाटा मा
जांदा दों तेन टाटा करि हाथ हिलायी त छैं छयी।