पशु पालक / महातिम शिफ़ेरॉ / श्रीविलास सिंह
मेरे पैदा होने से पूर्व, मेरे पिता थे
एक पशु पालक, अथवा उन्होंने मुझे दिलाया होगा
ऐसा विश्वास । वे थे एक चोर भी, अथवा एक छात्र
बिना शिक्षक के । इस कहानी में हम दोनों हैं
एक ही उम्र के, और हम गुनगुनाते हैं चुपचाप ।
मेरे पिता लगते हैं एक मछली जैसे भी, और यद्यपि
मैं लिख चुकी हूँ कहीं इस बारे में, मैं अभी भी
पाती हूँ उन्हें तैरते ब्रह्माण्ड के विचित्र जल में,
निरन्तर पूछते – क्या हम वास्तव में हैं
यहाँ अकेले ? मैं नहीं जानती क्या कहना है
इस बारे में । यहाँ भी वे बन जाते हैं
एक विचित्र वस्तु जिसे मैं पहचान नहीं सकती,
मरने से इनकार करती हुई, अभी या कभी भी ।
कितनी बार जीवन पाया है इस आत्मा ने,
मैं नहीं जानती – लेकिन जहाँ तक बात मेरी है
यह है गहरा बैंगनी, गहरे घाव से बहते
रक्त की भाँति । संभवतः वह नहीं जानता
रहना चाहिए किस रंग में - गहरा नीला जो वह जानता रहा है
स्वंय के बारे में लेकिन है हल्का भूरा, और उसके
हरे रंग छपे हैं मेरी मां के ऊपर – बुरादा
उसकी देह पर ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Mahtem Shiferraw
The Cattle Farmer
Before I was born, my father was
a cattle farmer, or so he would have me
believe. He was also a thief, or a student
without a master. In this story, we are
both the same age, and we hum quietly.
My father seems to be a fish too, and though
I have written about that somewhere, I still
find him swimming the strange waters of
the universe, constantly asking – are we
really here alone? To this, I do not know
what to say. Here too, he becomes
a strange thing I cannot recognize,
refusing to die, now or ever.
How many times has this soul lived,
I do not know – but when it comes to me
it is deep purple, a slash of oxblood rippling
through. Perhaps he does not know which
hues to adhere to – the dark blue he has known
himself to be is but a thin gray, and his
emeralds are imprinted on my mother – sawdust
upon her body.