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पसीना तक नहीं आता, तो ऐसी ख़ुश्क तौबा क्या / यगाना चंगेज़ी
Kavita Kosh से
पसीना तक नहीं आता, तो ऐसी ख़ुश्क तौबा क्या?
नदामत वो कि दुस्मन को तरस आ जाये दुश्मन पर॥
उस तरफ़ सात आसमाँ और इस तरफ़ इक नातवाँ।
तुमने करवट तक न ली दुनिया को बरहम देख कर॥
खु़दा जाने अज़ल को पहले किस पर रहम आयेगा?
गिरफ़्तारे क़फ़स पर या गिरफ़्तारे नशेमन पर॥