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पहला हिमपात / अन्द्रेय वज़निसेंस्की / श्रीकान्त वर्मा
Kavita Kosh से
एक लड़की टेलिफ़ोन बूथ में ऐंठ रही है
लिपटी हुई अपने नाकाफ़ी कोट में,
उसका चेहरा आँसू के धब्बों
और लिपिस्टिक से पुता हुआ ।
छोटी-छोटी अपनी अँगुलियाँ गरमाती है
अपनी साँस से वह
उसकी अँगुली जम गई है ।
कानों में बरफ़ के फूल ।
वापस जाना है उसे बर्फ़ीले रास्ते से
बिल्कुल असंग ।
पहला हिमपात एक शुरुआत
गँवाने की ।
टेलीफ़ोन-संस्कृति का पहला हिमपात
चमक रहा है उसके गालों पर शुरू ठण्ड
पहला हिमपात
जैसे वह आहत हुई ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीकांत वर्मा