भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहली अप्रैल को पहली बार / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
मेरी पत्नी ने आज मेरा जन्म-दिन मनाया,
पहली अप्रैल को पहली बार
उसने मुझे सुबह-सुबह गुलाब के दो फूल दिए
आरक्त पंखुरियों के महमहाए
नमस्कार में अपना सिर
मेरे सामने झुकाए
मैंने भी आज अपना जन्म-दिन मनाया
पहली अप्रैल को पत्नी के साथ पहली बार
गुलाब के दो फूल सूँघकर
उसके माथे को दो बार चूमकर,
बाहुपाश में उसको अपनाए
सौन्दर्य और प्रेम को एकात्म बनाए
मेरे पाँव, इस उम्र तक
अब तक कभी नहीं डगमगाए
रचनाकाल: ०१-०४-१९७७