Last modified on 18 सितम्बर 2020, at 14:35

पहली मई / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय

पहली मई
मैं बीस साल का हूँ
लेनिन ज़िन्दा हैं
लाल चौक लदा हुआ है झण्डों से
और खड़े हैं कतारबद्ध
पन्द्रह करोड़ लोग

पैंतीस साल बीत गए
मैं फिर बीस साल का हूँ
लेनिन भी ज़िन्दा हैं
और लाल चौक की धरती पर हैं
एक अरब लोग

1958
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय