भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहाड़ और नदी / पाब्लो नेरूदा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: पाब्लो नेरूदा  » संग्रह: नायक के गीत
»  पहाड़ और नदी

मेरे देश में एक पहाड़ है

मेरे देश में एक नदी है


आओ मेरे साथ


रात पहाड़ तक चढ़ती है

भूख नदी तक उतरती है


आओ मेरे साथ


वे कौन हैं जो सहते हैं झेलते हैं?

नहीं जानता, लेकिन वे मेरे लोग हैं


आओ मेरे साथ


नहीं जानता, लेकिन वे मुझे पुकारते हैं

कहते हैं, " हम मुसीबतें झेल रहे हैं"


आओ मेरे साथ


वे मुझ से कहते हैं, "तुम्हारे लोग

तुम्हारे अभागे लोग,

पहाड़ और नदी के दरमियान

भूख और विपत्ति से ग्रस्त ।

वे अकेले संघर्ष करना नहीं चाहते

वे तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं, दोस्त ।"


ओह! तू जिसे मैं प्यार करता हूँ,

नन्हीं जान, गेहूँ के लाल दाने,


कठिन होगा संघर्ष

कठिन होगी ज़िन्दगी,

लेकिन तू मेरे साथ आएगी ।