भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहाड़ का पानी / सेरा टीसडेल / लाल्टू
Kavita Kosh से
तुमने साल की शुरुआत में
जंगली झरने का पानी पिया है,
पहाड़ की चोटी से कहीं और नहीं जा सकते
प्रिय, रास्ता बस नीचे ही जाने का है,
और घाटी की सतह पर जो सोते बहते हैं
वे कभी साफ़ और पारदर्शी न दिखेंगे,
साल के पंख-सी हरीतिमा के दिनों
पहाड़ के पानी की झलक क्या सोचेंगे।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : लाल्टू
और लीजिए अब पढ़िए मूल अँग्रेज़ी में यही कविता
Mountain Water
You have taken a drink from a wild fountain
Early in the year;
There is nowhere to go from the top of a mountain
But down, my dear;
And the springs that flow on the floor of the valley
Will never seem fresh or clear
For thinking of the glitter of the mountain water
In the feathery green of the year.