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पहाड़ को बुलाने / विनोद कुमार शुक्ल
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पहाड़ को बुलाने
'आओ पहाड़' मैंने नहीं कहा
कहा 'पहाड़, मैं आ रहा हूँ।
पहाड़ मुझे देखे
इसलिए उसके सामने खड़ा
उसे देख रहा हूँ।
पहाड़ को घर लाने
पहाड़ पर एक घर बनाऊंगा
रहने के लिए एक गुफ़ा ढूँढूंगा
या पितामह के आशीर्वाद की तरह
चट्टान की छाया
कहूंगा यह हमारा पैतृक घर है।