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पहियेदार रिश्ता / अनीता कपूर

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तुम्हारा आना
जैसे बूँद-बूँद चाँदनी
झरने लगी हों मेरे सूनेपन पर
फिर भी कुछ क्या है कि
यह सम्बन्ध स्थायी नहीं लगता
क्योंकि हर छोटी-छोटी बात के बाद
रिश्ता ले लेता है नयी शक्ल
दूर जाता सा है दिखता
भीड़ में रिश्ते को दूंढ्ने की
फिर एक और कोशिश
रिश्ता मिलते ही
इतने में हो जाती है
फिर एक नयी घटना
नहीं चाहिए ऐसा
पहियेदार रिश्ता
तो चलो लौट चलें
अपने अपने दिलों
में वापस