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पहुना / धनन्जय मिश्र
Kavita Kosh से
पहुना हो पहुना
तोहें घरोॅ के गहना
तोरो ऐतैं ही ई घर में
बाजै लागलै बजना।
पहुना ...
तोहें जखनी घरोॅ में ऐलौ
बुतरु सिनी केॅ मोॅन हरसैलोॅ
सब्भे बुतरु नाचै लागलै
देखी मिठाई के दोनमां।
पहुना ...
कत्ते दिनोॅ के बाद ऐलौ
घरोॅ भरी केॅ मोन तरसैलौ
आबें जो तू जल्दी जैभौ
संगें जैभौ पटना।
पहुना ...
तोहें सभै के प्यारो छै
घरोॅ भरी केॅ दुलारो छै
तोरोॅ ऐतेॅ बनते लागलै
नीको-नीको भोजना।
पहुना ...
पोॅर-पहुना सें घरबा चमकै
ओन्टो-कोन्टो आंगना दमकै
रूसी जैतोॅ जब पहुना तेॅ
हुनका दीहौ चखना।
पहुना ...
पहुना के साला साली
हसी सें कान घुमावै छै
है देखी केॅ पहुना भी
मंद-मंद मुस्कावै छै
हसी-खुशी सें दिनमां कटलै
नाचै घरोॅ के आंगना।
पहुना हो ...