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पाँच सौ के नोट पर गाँधी / दिनकर कुमार
Kavita Kosh से
साढ़े सात सेंटीमीटर चौड़े और
सत्रह सेंटीमीटर लंबे कागज के टुकड़े पर
खिलखिलाते हुए गाँधी
एक तरफ़ हैं
दूसरी तरफ़ दस अनुयायियों के साथ
लाठी थामे खड़े हैं
एक तरफ मुस्कान
दूसरी तरफ जाग्रत अवस्था
गलियों-सड़कों-पार्कों और
गंदी बस्तियों के नाम के साथ
जोड़ दिया गया है गाँधी का नाम
और तेजाब की भूमिका निभाने वाले
काग़ज़ के टुकड़े को भी
गाँधी के चित्र से वंचित नहीं रखा गया है
जब यह काग़ज़ का टुकड़ा
रौंद डालता है सत्य को
आदर्श को, जीवन-मूल्यों को
जब यह काग़ज़ का टुकड़ा
निगल जाता है भविष्य की संभावनाएँ
तब भी खिलखिलाते रहते हैं गाँधी