भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पाण्डव कुमार /राम शरण शर्मा 'मुंशी'
Kavita Kosh से
हिंसक असामाजिक
गिरोहों के पड़ाव !
बीच में
अन-अन्वेषित अविचल
रेगिस्तान
कुरुक्षेत्र का मैदान !
आश्रय से वंचित
बेदखली के शिकार
पाण्डव कुमार
इस ओर
झुग्गियों-झोपड़ियों के सामने
जला कर बैठे हैं अलाव !