भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पानी कम है / हरजीत सिंह 'तुकतुक'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पानी कम है।
चलो फूलों से खेलें।
होली मिल के।

पानी कम है।
चाय में उनकी भी।
नेता जी हैं न।

पानी कम है।
कुओं, नदी, तालों में।
पेड़ काटे होंगे।

पानी कम है।
पर दिल बड़ा है।
तुम भी पियो।

पानी कम है।
बाढ नहीं है यह।
फ़र्ज़ी न्यूज़ है।

पानी कम है।
रात अभी बाक़ी है।
नीट पीते हैं।

पानी कम है।
आग नहीं बुझेगी।
लगाई क्यों थी?