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पानी के हँसने में / प्रेमशंकर शुक्ल
Kavita Kosh से
पानी के हँसने में
हयात है
लहरों में ज़िन्दगी का
पैगाम हुआ करता है
जाहिली से घूँट भरने से
पानी को चोट पहुँचती है
प्यास और पानी का रिश्ता
बहुत पाक है
इसे समझने में बात है