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पानी मछलियों के रोने से बनता है / निशांत
Kavita Kosh से
यह कुआँ बना है
एक छोटी मछली के आँख के पानी से
देखो वो अन्दर टहल रही है
गाँव का तालाब
झील नदी समुद्र उनकी ही आँखों के पानी से बने हैं
चाची बतलाती और मेरा मुँह देखती
पानी से बाहर निकालते ही
वे मरने लगती हैं
वे हमलोगों के लिए रोती हैं
मेरे तुम्हारे और
तुम्हारी माँ के हिस्से का भी वे ही रोती हैं
रोना ही उनका काम है
हे ईश्वर !
हे प्यार !
बबुआ ई चिट्ठी
रामप्रसाद मास्टर जी को देना
कहना, मछली ने लिखी है
सचमुच चिट्ठी के अन्त में
एक सुन्दर सी मछली टाँक देती थी विधवा चाची
एक दिन चाची
घर के कुएँ में मछली बन उतराई
आज जब मेरी बेटी
— मछली जल की रानी है
जीवन उसका पानी है...तुतलाती है
चाची की बात याद आती है
— पानी
मछलियों के रोने से बनता है ।