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पारिधि (शिकार) गीत / नीलकंठ दास / दिनेश कुमार माली

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रचनाकार: नीलकंठ दास(1884-1967)

जन्मस्थान: श्रीराम चंद्रपुर शासन, पुरी

कविता संग्रह: प्रणयिनी(1919), कोणार्के (1919) खारवेल(1920), दास नायक(1923)


ऊँचे शिखर में
देखो, शिखर नव शुभ्र कर में
उठो, वीर युवक त्याग सपन सुख
श्याम विपिन भरे पुण्य झर में
सुंदर गिरि/सिर सुंदर/कंदर
सुंदर वन मृदु विकसित भास्कर
क्षात्र/धर्म/रत वीर नृपति/सूत
उठो , हे, रण/मद/जेत्र/ वर में
श्वान उठा हस, शिकार/सुख से
घोड़े उठे सज, चलते कदम से
भेरी बजी पवन स्पंदन रच घन
वीर/ हृदय /पूरी करे आशा झट से।
सैन्य गुरु गमन आयुध झनझन
दुंदुभि टमटम कर रहा कंपन
देखता कानन शोभित गिरि वन
गजपति सुत/पद/संपद में
नाचेंगे गिरि झर वीर तुरंग धर
देखेंगे गिरि हंसी शाश्वत तट भर
शाल गहल वन लतिका मोहन
सेवा करेंगे सुविमल प्रीति भरे
कलियाँ खिली, फूल गिरे
जंगली जीव घुस गए गहरे जंगल में
उठो, उठो, वीर कदंबक पालक
श्यामल अरुणित सौर/मंडल में।