भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पालने पर आलेख / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चा यहाँ अरे, रोता है, हँसता है
मुँह से लेकिन शब्द नहीं कह सकता है ।
आएगा, वह दिन भी आख़िर आएगा,
कौन, किसलिए जग में आया, सब को यह बतलाएगा ।

रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु