प्रेम की स्मृतियाँ 
कहानी होती हैं,
पर जब वे आँखों से टपकती हैं 
तो छन्द हो जाती हैं । 
 
कल जब पालयम जंक्शन
पर रुकी थी मेरी कार
तो कहानियों  से भरी एक बस रुकी थी
उससे एक-एक कर कई कविताएँ निकली थीं । 
 
उनमें से मुझे सबसे प्रिय थी
वह साँवली, सुघड़ और विचलित कविता
जिसकी सिर्फ़  आँखें बोल रही थीं
पूरा तन प्रशान्त था ।
 
उसके जूड़े में  कई छन्द थे
जो उसके मुड़ने भर से
झर-झरकर ज़मीन पर गिर रहे थे
मानो हरसिंगार गिर रहे हों ब्राह्ममुहुर्त में ।