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पास में इनके नमक का है खज़ाना दोस्तों / सूरज राय 'सूरज'

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पास में इनके नमक का है खज़ाना दोस्तों।
ज़ख़्म भूले से न अपनों को दिखाना दोस्तों॥

कह रही है रूह जां से चल कहीं अब और चल
ये मकां अब हो गया शायद पुराना दोस्तों॥

काट लेते हैं गला वह प्यार से मिलकर गले
जाल के ताजिर हैं वह फेकेंगे दाना दोस्तों॥

बोरिया-बिस्तर समेटें छोड़ दे अब शह्र ये
अब यहाँ अपना कोई दामन न शाना दोस्तों॥

अश्क हैं आँखों में सबकी और माचिस जेब में
देखना एहसास का दामन बचाना दोस्तों॥

जंग हो दुश्मन से गर तो दफ़्न कर देना उसे
हाँ अगर अपना हो तो फिर हार जाना दोस्तों॥

पाँव फैला कर सुकूँ से तू कभी लेटा भी है
ज़िंदगी का क़ब्र भी देती है ताना दोस्तों॥

हक़ में क़ातिल के मेरे तुमने गवाही मोड़ दी
वार अब मुझपे हुआ है कातिलाना दोस्तों॥

आसमां की छत लिये हैं पाँव से बांधे सफ़र
बस यही खानाबदोशों का फ़साना दोस्तों॥

इक दफ़ा गर हाथ उठ गए भीख़ को तो ख़त्म सब
भूख़-रोटी जो हो मेहनत से कमाना दोस्तों॥

मुद्दतों के बाद सोया आज बेख़ौफ़ो-ख़तर
माँ की गोदी-सा लगा ग़म का सिरहाना दोस्तों॥

प्यार की शम्मा लिये मैं नफ़रतों से लड़ रहा
देखना जुगनू का "सूरज" को हराना दोस्तों॥