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पिंटू बेटे अब उठ जाओ / कमलेश द्विवेदी
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उठो लाल अब आँखें खोलो।
पानी लाई हूँ मुँह धो लो।
कविता यह हो गयी पुरानी।
बदल गयी है आज कहानी।
उठो लाल अब बेड टी ले लो।
फिर चाहे कंप्यूटर खेलो।
होम वर्क पापा कर देंगे।
टीचर जी कुछ नहीं कहेंगे।
उठकर देखो मेरे प्यारे।
कबसे टॉमी तुम्हें पुकारे।
चलो उसे टहलाकर लाओ.
पिंटू बेटे अब उठ जाओ.