भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पिकनिक / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
बाकी तो सब लगती झिकझिक,
सबसे अच्छी लगती पिकनिक।
बैठ मज़े से बस में जाते,
गाने गाते, शोर मचाते।
खाते-पीते, मौज उड़ाते,
गप्प मारते, जोक सुनाते।
करने जाते सैर-सपाटा,
मम्मी-डैडी को कर टाटा।