भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिता के हाथ की रेखाएँ / महेश कुमार केशरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिता के हाथ को
एक बार, एक ज्योतिषी
ने देखकर बताया था

कि आपकी कुंडली में
धनलाभ होगा
संभव है कि आपको
राज योग
भी मिले

लेकिन, पिता के हाथ कभी
नहीं, लगा कोई गड़ा धन
और ना ही मिला उनको
कभी राजयोग

वो, ताउम्र, खदान में
पत्थरों को काटते रहे

काटते-काटते ही शायद घिस
गई, पिता के हाथ की रेखाएँ
जिनमें, कहीं घन योग या
राज योग रहा होगा

इसलिए भी शायद
उनको नहीं मिला कभी
धन योग ना ही कभी
मिल सका उनको राज
योग

वो, ताउम्र बने रहे
दिहाड़ी मज़दूर और
काटते रहे पत्थरों के
विशालकाय खदान को

और, काटते - काटते खदान
का पत्थर एक दिन पिता
उसी खदान में समा गये

फिर, पिता कभी घर
लौटकर नहीं आये

ज्योतिषी आज भी चौक पर
बांँच रहा था, भविष्य