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पियक्कड़ मामा / अमरेन्द्र

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बड़का पक्का चोर पियक्कड़ छोटका मामा
चाटै हरदम ठोर पियक्कड़ छोटका मामा
कान अमैठै बुतरू सब के बिन बाते के
जी के बड़ा कठोर पियक्कड़ छोटका मामा
चोर-चिब्ल्लि वास्तें एकदम पंडित-ज्ञानी
बुतरू वास्तें ‘बोर’ पियक्कड़ छोटका मामा
दिन भर तमतम मुँह करै बिन टोकले-टाकले
गरजै छै घनघोर पियक्कड़ छोटका मामा
जखनी दै छै मार दरोगा-पुलिस-सिपाही
खूब चुआवै लोर पिक्कड़ छोटका मामा
कत्तो खाय छै मार मतर नै आदत सुधरै
पक्का छै लतखोर पिक्कड़ छोटका मामा ।