पिया चलल परदेश कि आओर दूर देश बसु रे / मैथिली लोकगीत

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पिया चलल परदेश कि आओर दूर देश बसु रे
ललना रे ककरा कहब दिलकेँ बात चढ़ल मास तेसर रे
सासु चलल नइहर ननदी ससुर घर रे
ललना रे घरबामे देओर नादान चढ़ल मास चारिम रे
बाट रे बटोहिया कि भइया कि तोँहि मोर हित बंधु रे
ललना रे नेने जाहि पियाकेँ समाद चढ़ल मास पाँचम रे
अन्न पानि किछु ने मन भावय जिया डोलय पात रे
ललना रे देह जे लागय सरिसों फूल चढ़ल मास छठम रे
डाँर जे उठय कड़-कड़ देह काँपय थर-थर रे
ललना रे उत्पन्न श्री नन्दलाल चढ़ल मास सातम रे
आठम मास जब आयल आठो अंग भारी भेल रे
ललना रे खने-खने चीर ससरि गेल छने-छने पहिरथि रे
नओम मास जब चढ़ल ननदी हरखि बरजु रे
ललना रे हमहूँ तँ लेब नकबेसरि होरिला खेलाएब रे
दसम मास जब आएल होरिला जनम लेल रे
ललना रे जनम लेल श्री नन्दलाल कि गोकुल आनन्द भेल रे

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