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पिया सावन बौराय / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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पिया सावन बौराय
कानी-कानी आँखोॅ के देलकै थकाय,
पिया सावन बौराय।
मेघोॅ बरसै, डरोॅ लागै छै
गोड़ोॅ के बिछुआ आबेॅ डंसै छै
कारी बदरिया, घूरै अटरिया
सौसें सरंग मेघ इतराय
पिया सावन बौराय।
मन भागै हमरोॅ बहियारे-बहियार
देहोॅ केॅ भावै छै कैन्हें पुरबा बयार
गीत रोपनियां विरहा गावी
देलकोॅ जिया जराय
पिया सावन बौराय।
हमरे आँखी लोर होलै पनसोखा
ताकी थकलौं खाड़ी रहतें मोखा
आस-रास में रात अन्हरिया
देलकोॅ हमरा डराय
पिया सावन बौराय।