Last modified on 9 अक्टूबर 2007, at 21:03

पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस / मीराबाई

राग दरबारी कान्हरा

पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस॥

ऐसो है कोई पिवकूं मिलावै, तन मन करूं सब पेस।
तेरे कारण बन बन डोलूं, कर जोगण को भेस॥

अवधि बदीती अजहूं न आए, पंडर हो गया केस।
रा के प्रभु कब र मिलोगे, तज दियो नगर नरेस॥

शब्दार्थ :- सूनो = सूना। छै =है। म्हारो देस = मेरा देश अर्थात् जीवन। पेस -समर्पण। बदीती =बीत गई। पंडर = सफेद। नगर नरेस = अपने राजा का राज्य