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पीछे हटने का कोई कारण नहीं जब हम ठीक हैं / सांवर दइया
Kavita Kosh से
पीछे हटने का कोई कारण नहीं जब हम ठीक हैं।
टूटे बेशक हजार, अगर टूटती आपकी लीक है!
अनजाने में नहीं हुआ इन हाथों शुरू यह सिलसिला,
जानते है आदमी को जगाने कि सजा सलीब है!
चलो, रात के घर टांग आते हैं आज यह इशितहार,
बस, दो कदम चलने के बाद भोर हमारे करीब है!
जब राख चढ़े अंगारों ने सोचा, चलो आंखें खोलें,
सबसे पहले चल दिये थे वे, जो आपके मुरीद हैं!
कल मैं नहीं तो किसी और के हाथ में होगी मशाल,
रोशनी नहीं बुझ पायेगी, अब इतनी तो उम्मीद है!