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पीतल की वंशी / ठाकुरप्रसाद सिंह

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पीतल की वंशी

सतरंगी सारंगी

बजा नहीं, बजा नहीं

ओ, मेरे जोगी


मेरे भीतर वंशी

बन के चौरे सारंगी

हर चौरे सारंगी


पूछेंगे वे तो

क्या उत्तर मैं दूंगी!


बुला नहीं, बुला नहीं

और मेरे जोगी