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पीसा के सामै काईं न्हं इज्जत गरीब की / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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पीसा के सामै काईं न्हं इज्जत गरीब की
कीडा - मकोडा - सी छै अठी गत गरीब की
यां सी बच"र कहडै तो कहडै बी कस्यां गरीब
ऊभी छै ठाम- ठाम पे आफ़त गरीब की
कानून कांईं बी बणै, सेठां की खैर छै
आवै कस्यौ बी राज, मुसीबत गरीब की
बरखां की नांईं मौत की न्हाळै छै नत यो बाट
मुर्दां सूं बी खराब छै हालत गरीब की
सोचै तो कांईं सोचै, करै तो करै कांईं
माथै न्हं पागडी बची न्हं छत गरीब की
डूब्यौ करज- मरज में छै नख सूं यो चोटी तांईं
अब कहै " यकीन" कांईं छै कीमत गरीब की