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पुनर्जन्म / ऋषभ देव शर्मा
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ठीक ही हुआ
बिखर गई मेरी पंखुड़ियाँ|
नहला गईं हवाओं को
अपनी खुशबू से|
मर कर भी
मैं मरा भी नहीं,
मिटा नहीं|
फिर से जी उठा
तुम्हारी साँसों में।