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पुरइन पात चढ़ि सुतली गउरा देइ / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पुरइन पात चढ़ि सुतली<ref>सोई</ref> गउरा देइ।
सपना देखली अजगूत<ref>विचित्र; बेमेल</ref> हे॥1॥
टोला पड़ोसिन तुहूँ मोरा गोतनी।
सपना के करू न बिचार हे॥2॥
तुहूँ इयानी<ref>सयानी का अनुवादात्मक प्रयोग</ref> गउरा तुहूँ सेयानी।
तुहूँ पंडितवा के धिया हे॥3॥
मोरँग<ref>नेपाल का एक पूर्वी जिला, जो पूर्णियाँ जिले की सीमा से मिला है</ref> देस बाजन एक बाजे।
सिवजी के होयलइन<ref>हुआ</ref> बियाह हे॥4॥
पेन्हऽ गउरा देइ इयरी से पियरी।
सउतिन परिछ<ref>परिछने। ‘परिछन’ की विधि संपन्न करने</ref> घर लावऽ<ref>लाओ</ref> हे॥5॥
पुतहू जे रहतइ परिछि घर लइती<ref>लाती</ref>।
सउतिन परिछलो<ref>परिछा भी</ref> न जाय हे॥6॥
डँड़िया<ref>पालकी</ref> उधारि जब देखलिन गउरा देइ।
इतो<ref>यह तो</ref> हइ<ref>है</ref> बहिन हमार हे॥7॥
देस पइसि<ref>देस पइसि = सारे देश में घूमने पर, पइस = प्रवेश</ref> बहिनी बरो<ref>दुलहा</ref> न मिलल।
तुहूँ भेल सउतिन हमार हे॥8॥
अइसन असीस बहिनी हमरा के दीह।
जुग जुग बढ़ी अहिवात हे॥9॥
मँगिया के जुड़ल<ref>मँगिया के जुड़ल = सौभाग्यवती। माँग का सुहाग अचल रहे</ref> सीतल रहिहऽ हे बहिनी।
कोखिया<ref>कोख से</ref> के होइहऽ<ref>होना</ref> बिहून<ref>हीन। कोखिया-बिहून = कोख से हीन, निःसंतान</ref> हे॥10॥
सार<ref>गोशाला</ref> पइसी बहिनी गोबर कढ़िहऽ<ref>काढ़ना</ref>।
सिव जी के पास मत जाहु हे॥11॥

शब्दार्थ
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