पृथ्वी पर लेटना / आत्मा रंजन
(एक)
पृथ्वी पर लेटना
पृथ्वी को भेंटना भी है
ठीक वैसे जैसे
थकी हुई हो देह
पीड़ा से पस्त हो रीढ़ की हड्डी
सुस्ताने की राहत में
गैंती-बेलचे के आसपास ही कहीं
उन्हीं की तरह
निढाल लेट जाना
धरती पर पीठ के बल
पूरी मौज में डूबना हो
तो पृथ्वी का ही कोई हिस्सा
बना लेना तकिया
जैसे पत्थर
मुंदी आँखों पर और माथे पर
तीखी धुप के खिलाफ
धर लेना बाहें
समेत लेना सारी चेतना
सिकुड़ी टांग के खड़े त्रिभुज पर
ठाठ से टिकी दूसरी टांग
आदिम अनाम लय में हिलता
धूल धूसरित पैर
नहीं समझ सकता कोई योगाचार्य
राहत सुकून के इस आसन को
मत छेड़ो ऐसे में
धरती के लाडले बेटे का
माँ से सीधा संवाद है यह
माँ पृथ्वी दुलरा-बतिया रही है
सेंकती-सहलाती उसकी
पीराती पीठ
बिछावन दुभाषिया है यहाँ
मत बात करो
आलीशान गद्दों वाली चारपाई की
देह और धरती के बीच
अड़ी रहती है वह दूरियाँ ताने
वंचित होता / चूक जाता
स्नेहिल स्पर्श
खालिस दुलार
कि तमाम खालिस चीज़ों के बीच
सुविधा एक बाधा है
पृथ्वी पर लेटना
पृथ्वी को भेंटना भी है
ख़ास तौर पर इस तरह
ज़िंदा देह के साथ
ज़िंदा पृथ्वी पर लेटना!
(दो)
सुख का क्या है
एक छोटे से स्पर्श में भी
मिल जाता है कभी
अपने असीम की झलक देता हुआ
जैसे पा रहा अनायास वह
अपने ही विलास में कहीं
समुद्र किनारे धुप-स्नान की मुद्रा में
औंधे मुंह निढाल लेटा रेत पर
छाती को गहरे सटाता पृथ्वी से
आँखे मूंदे
और-और फैलाता बाँहें
पूरी पृथ्वी को
अपनी सटाई देह और
फैलाई-बांहों में
भरने समेटने के लुत्फ़ में डूबा
पाना हो तो पा लें
यूं भी कभी
स्पर्श का सुख ही सही
पृथ्वी से
थोड़ा ऊपर जीने वाले!
(तीन)
मिटटी में मिलाने
धूल चटाने जैसी उक्तियाँ
विजेताओं के दंभ से निकली
पृथ्वी की अवमानना है
इसी दंभ ने रची है दरअसल
यह व्याख्या और व्यवस्था
जीत और हार की
विजेता का दंभ है यह
सीमेंट-कंकरीट में मढ़ दी गई
तमाम मिटटी
घुसपैठ करती धूल के लिए
वैक्यूम क्लीनर जैसे
शिकारी हथियार
कौन समझाए इन्हें कि सिर्फ़
हारने वाला ही नहीं मिलता मिटटी में
यह भी कि धूल चाटने वाला ही
जानता है असल में मिटटी की महक
धरती का स्वाद
कण-कण में घुले-मिले
कितने-कितने इतिहास
मिटटी से बेहतर कौन जानता है
कि कौन हो सका है मिटटी का विजेता
रौंदने वाला तो बिलकुल नहीं
जीतने के लिए
गर्भ में उतरना पड़ता है पृथ्वी के
गैंती की नोक, हल की फाल की मानिंद
छेड़ना पड़ता है
पृथ्वी की रगों में जीवन राग
कि यहाँ जीतना और जोतना पर्यायवाची है
कि जीतने की शर्त
रौंदना नहीं रोपना है
अनंत-अनंत संभावनाओं की
अनन्य उर्वरता
बनाए और बचाए रखना!
(चार)
पृथ्वी पर लेटना
पृथ्वी को भेंटना ही है
कौन समझाए विजेताओं
बुद्धिमानों को
कि लेटना न सही
वे सीख लें कम से कम
पृथ्वी पर लौटना
वह तो दूर की बात है
जानता है जो एक मनमौजी बच्चा
असीम सुख का असीम स्वाद
कि क्या है–
पृथ्वी पर लोटना!