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पेंसिल-1 / जयंत परमार
Kavita Kosh से
बेंच पे बैठी
ब्ल्यू जींस वाली लड़की
पेंसिल छीलती है
और उसमें से
फूटता है इक काला फूल
पेंसिल लिखती है
काले-काले अक्षर
कोरे काग़ज़ पर
जैसे काली तितलियाँ!
पेंसिल लिखती है
सफ़ेद अक्षर
आसमान के कैनवस पर
जैसे सूरज चाँद सितारे!!
पेंसिल लिखती है
पंख सुनहरी
कायनात की बाँहों पर
जैसे लड़की के सपने!!!